वैश्विक स्तरपर करीब हर देश में वहां के नागरिकों को न्यायपालिका पर अटूट विश्वास रहता है। इतना ही नहीं दुनियां के हर देश को भी अंतरराष्ट्रीय कोर्ट यानी इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस हेग पर भरोसा रहता है जो हमने कुछ माह पूर्व हमारे पड़ोसी मुल्क में कैद कुलभूषण जाधव को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने और कतर कोर्ट में 8 पूर्व नवसैनिकों को फांसी से राहत मिली थी।आज हम न्यायपालिका पर नागरिकों के विश्वास की बात इसलिए सहज कर रहे हैं क्योंकि पिछले दिनों दिल्ली के सीएम की गिरफ्तारी फिर 28 मार्च 2024 तक रिमांड हुआ और आज रिमांड को 1 अप्रैल 2024 तक बढ़ा दिया गया, जबकि हाईकोर्ट ने पहले ही राहत नहीं दी थी जबकि सरकार अब जेल से चल रही है वहीं इस मामले पर जर्मनी और अमेरिकी विदेश मंत्रालय की टिप्पणियां आई जिसमें निष्पक्ष व पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया व न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से संबंधित मानकों की बात कही गई तो इसे भारत ने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की बात कही और कड़ी आपत्ति दर्ज कराई और भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों और अमेरिकी डिप्लोमैट के बीच करीब 40 मिनट की बातचीत हुई।इस तरह जर्मनी से भी कड़ी आपत्ति दर्ज की गई है।मेरा मानना है कि हालांकि दोनों देशों द्वारा की गई है टिप्पणियां हमारे आंतरिकमामलों में हस्तक्षेप की ओर इशारा करती है, परंतु यह सोचने व रेखांकित करने वाली बात है किआखिरकार इन विकसित देशों द्वारा गिरफ्तार सीएम के संबंध में निष्पक्ष और पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया करनी चाहिए जैसी टिप्पणीक्यों की है?बता दें कि अमेरिका ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की प्रिंट मीडिया में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था की तारीफ संबंधी आर्टिकलप्रकाशित हुए थे, तब गिरफ्तार सीएम की वहां काफी तारीफ हुई थी। चूंकि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी पर जर्मनी के बाद अमेरिका ने भी टिप्पणी की है,जिसपर भारत नें कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे अमेरिका की टिप्पणियों पर भारत का एक्शन,अमेरिकी डिप्लोमैट से 40 मिनट की बातचीत व 28 मार्च 2024 गुरुवारको मंत्रालय की साप्ताहिक ब्रीफिंग में टिप्पणियों को लेकर कड़ी आपत्ति और विरोध दर्ज कराया गया है।
साथियों बात अगर हम मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी पर अमेरिका की टिप्पणियों की करें तो,अमेरिका ने कहा, हम केजरीवाल के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया की उम्मीद करते हैं।वहीं अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने एक बयान में कहा कि दिल्ली के सीएम और विपक्ष पार्टी के नेता के मामले में निगरानी कर रहे हैं।अमेरिका से पहले जर्मनी ने भी सीएम की गिरफ्तारी के बाद बयान दिया था।जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने कहा था, दिल्ली के सीएम अन्य भारतीय नागरिक की तरह ही निष्पक्ष रूप से सुनवाई और न्याय के हकदार हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम मानते और उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से संबंधित मानकों को भी इस मामले में लागु किया जाएगा।अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा था कि अमेरिका ने करीब से सीएम की गिरफ्तारी की खबरों पर नजर रखी हुई है। प्रवक्ता ने ईमेल पर रॉयटर्स को बतायाकि अमेरिकी सरकार सीएम के लिए एक निष्पक्ष, पारदर्शी और समयोचित कानूनी प्रक्रिया के लिए प्रोत्साहन देती है। सीएम की गिरफ्तारी पर बारीक नजर रखना जारी रखेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्रालयइस मुद्दे पर ग्लोरिया बर्बेना को भारत की ओर से तलब किए जाने के बाद अमेरिका ने बुधवार (27 मार्च) को फिर दोहराया था कि वह निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया का आह्वान करता है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, हम दिल्ली के सीएम की गिरफ्तारी सहित इन कार्रवाइयों पर बारीकी से नजर रखना जारी रखेंगे।भारतीयविदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सीएम पर अमेरिका की बार-बार की गई टिप्पणियों पर पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि आपसी सम्मान और समझ अंतरराष्ट्रीय संबंधों की नींव बनाती है।विदेश मंत्रालय ने जर्मन दूतावास के मिशन के उप प्रमुख को भी पहले तलब किया था और टिप्पणियों पर भारत का कड़े विरोध दर्ज कराया था। सीएम की गिरफ्तारी के मामले में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार रात प्रेस ब्रीफिंग में कहा था-हम अपने स्टैंड पर कायम हैं। इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया पूरीहो।अमेरिका ने मंगलवार (26 मार्च) को भी अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले में बयान दिया था।अमेरिका ने कहा था, हमारी सरकार केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले पर नजर बनाए हुए है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इस दौरान कानून और लोकतंत्र के मूल्यों का पालन किया जाना चाहिए।
साथियों बात अगर हम दिल्ली सीएम की गिरफ्तारी पर जर्मनी की टिप्पणियों की करें तो, शुक्रवार, 22 मार्च को जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से बेस्टियन फिशर ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा था कि किसी भी आरोपी की तरह केजरीवाल भी एक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष मुकदमे के हकदार हैं।उन्होंने यह भी कहा था कि जर्मनी को उम्मीद है कि इस मामले में न्यायपालिका की स्वतंत्रता के मानक और मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धांत लागू किए जाएंगे।भारत सरकार ने इस बयान पर नाराजगी जताई थी और भारत में जर्मनी के उप राजदूत को बुलवा कर नाराजगी व्यक्त की थी।भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में जर्मनी की टिप्पणी को पक्षपातपूर्ण, भारत की न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने के बराबर बताया था। जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने की थी टिप्पणीअमेरिका से पहले जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर टिप्पणी की थी। जर्मन अधिकारी ने कहा था, हमारा मानना है और उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से जुड़े मानक और मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धांत भी इस मामले में लागू होंगे। इसके बाद भारत ने इसका करारा जवाब देते हुए ने जर्मनी के दूतावास के डिप्टी चीफ को तलब किया था।भारत ने कहा था कि यह हमारा आंतरिक मामला है, इसमें हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं।
साथियों बात अगर हम टिप्पणियों पर भारत सरकार की कड़ी आपत्तियों की करें तो,भारत ने अमेरिका के टिप्पणी पर कड़ी नाराजगी जताई। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने बुधवार, 27 मार्च को अमेरिका के कार्यवाहक मिशन उप-प्रमुख को तलब किया है। इस दौरान विदेश मंत्रालय के अधिकारियों और अमेरिकी डिप्लोमैट के बीच करीब 40 मिनट तक बातचीत हुई। दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने बुधवार को अमेरिका के कार्यवाहक मिशन उपप्रमुख को तलब किया।अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा था कि वो भारत के अहम विपक्षी दल के नेता की गिरफ्तारी और मामले में एक्शन पर निष्पक्ष जांच की उम्मीद जता रहे हैं। गुरुवार (28 मार्च) को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंत्रालय की साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा, कल भारत ने अमेरिकी दूतावास की एक वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष अमेरिकी विदेश मंत्रालय की टिप्पणियों को लेकर कड़ी आपत्ति और विरोध दर्ज कराया था। (अमेरिकी) विदेश मंत्रालय की हाल की टिप्पणियां अनुचित हैं। हमारी चुनावी और कानूनी प्रक्रियाओं पर ऐसा कोई भी बाहरी आरोप पूरी तरह से अस्वीकार्य है।उन्होंने कहा,भारत में कानूनी प्रक्रियाएं कानून के शासन से ही संचालित होती हैं।कोई भी जो समान प्रकृति का है, विशेषकर साथी लोकतंत्रों को इस तथ्य की सराहना करने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए।भारत को अपनी स्वतंत्र और मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाओं पर गर्व है। हम किसी भी प्रकार के अनुचित बाहरी प्रभाव से उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
साथियों बात अगर हम दिल्ली सीएम की गिरफ्तारी पर घरेलू हलचल की करें तो, दिल्ली में केंद्र सरकार सीएम की गिरफ्तारी के राजनीतिक असर से जूझने की कोशिश कर रही है। मंगलवार, 26 मार्च को आप केकार्यकर्ताओं और नेताओं ने पीएम आवास का घेराव करने की कोशिश की तो पुलिस ने वहां धारा 144 लागू कर दी और कई लोगों को हिरासत में लिया।कांग्रेस,सीपीएम,शिवसेना आरजेडी समेत लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने केजरीवाल की गिरफ्तारी की निंदा की है। केरल के सीएम ने कहा है कि केजरीवाल को गिरफ्तार चुनावी बॉन्ड मामले से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए किया गया है।इंडिया गठबंधन ने 31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विरोध रैली आयोजित करने की भी घोषणा की है।दूसरी तरफ बीजेपी आप और केजरीवाल के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। पार्टी ने मांग की है कि केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें। सीएम ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है, बल्कि चिट्ठियों के माध्यम से अपनी सरकार के मंत्रियों को आदेश दे रहे हैं। सीएम को दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। गुरुवार (28 मार्च) को उनकी हिरासत की समाप्ति पर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने मामले में अब केजरीवाल को 1 अप्रैल तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया हैं। इससे पहले बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल को किसी भी अंतरिम राहत से इनकार कर दिया था और गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर केवल नोटिस जारी किया था।अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी के बाद अमेरिका ने भी टिप्पणी की -भारत ने कड़ी नाराज़गी जताई- हिरासत 1 अप्रैल 2024 तक बढ़ी।अमेरिका की टिप्पणी पर भारत का एक्शन भारतीय विदेश मंत्रालय और अमेरिकी डिप्लोमैट के बीच करीब 40 मिनट की बातचीत।वैश्विक स्तरपर न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से संबंधित मानकों और निष्पक्ष पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया की उम्मीद सबको है।