November 23, 2024
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राजनीति भी बड़ी दिलचस्प हो गई है। कब कौन किस ओर चला जाएगा, यह पता नहीं चलता है। नेताओं को सब कुछ पता होता है, बावजूद इसके उनके दावों में उसका असर कहीं से भी दिखाई नहीं पड़ता है। केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा में पेश किए गए दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 पर जबरदस्त तरीके से हंगामा जारी है। संसद के मानसून सत्र से पहले ही इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि विधेयक पर सरकार को विपक्षी दलों के आक्रमण का सामना करना पड़ेगा। हो भी यही रहा है। मंगलवार को पेश होने के ठीक बाद लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। वहीं, बुधवार को भी इस पर चर्चा नहीं हो सकी। यह विधेयक जहां विपक्षी गठबंधन इंडिया के लिए पहली बड़ी परीक्षा है तो वहीं सरकार के लिए भी नाक का सवाल है।

दिल्ली विधायक पर रार

आपको बता दें कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े एक अध्यादेश को केंद्र सरकार की ओर से 19 मई को लाया गया था। उसी को अब बिल में बदला जा रहा है दिल्ली की आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार लगातार इसका विरोध कर रही है। आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। ऐसे में उसे इंडिया गठबंधन के अन्य सदस्यों से भी समर्थन प्राप्त है। आम आदमी पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। विपक्षी दलों का दावा है कि केंद्र सरकार की ओर से इस विधेयक के जरिए देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। आम आदमी पार्टी तो यह कह रही है कि अगर भाजपा सरकार का यह प्रयोग दिल्ली में सफल हो जाता है तो गैर भाजपा शासित राज्यों में इसे लाया जाएगा।

आप का दावा

दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने विधेयक को संसद में अब तक पेश किया गया सबसे अलोकतांत्रिक कागज का टुकड़ा करार दिया और दावा किया कि यह लोकतंत्र को बाबूशाही में बदल देगा। ‘आप’ के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने कहा कि यह विधेयक पिछले अध्यादेश से भी बदतर है तथा ‘‘हमारे लोकतंत्र, संविधान और दिल्ली के लोगों के लिए’’ ज्यादा खराब है। विधेयक को संसद में रखा गया अब तक का सबसे ‘‘अलोकतांत्रिक और अवैध’’ दस्तावेज करार देते हुए चड्ढा ने कहा कि यह दिल्ली की चुनी हुई सरकार से सभी अधिकार छीनकर उन्हें उपराज्यपाल तथा ‘बाबुओं’ को दे देगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक दिल्ली में लोकतंत्र को ‘‘बाबूशाही’’ में बदल देगा और नौकरशाही एवं उपराज्यपाल को अधिक अहम शक्तियां प्रदान कर देगा। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने बुधवार को कहा कि ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023’ उच्च सदन में पारित नहीं हो सकेगा।

अमित शाह ने क्या कहा

निचले सदन में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गृह मंत्री अमित शाह की ओर से विधेयक पेश किया। विधेयक पेश किये जाने का कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर एवं गौरव गोगोई, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी आदि ने विरोध किया। विधेयक पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को संपूर्ण अधिकार दिया है कि वह दिल्ली राज्य के लिए कोई भी कानून ला सकता है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के हवाले से इसे पेश किये जाने का विरोध किया जा रहा है लेकिन उसी आदेश के पैरा 6, पैरा 95 में शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि संसद, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए कोई कानून बना सकती है। शाह ने कहा कि विधेयक पेश किये जाने के खिलाफ सारी आपत्तियां राजनीतिक हैं और इनका कोई संवैधानिक आधार नहीं है, संसद के नियमों के तहत भी इनका कोई आधार नहीं है।

अध्यादेश से अलग है बिल

बिल से सेक्शन 3 A को हटा दिया गया है। इसमें दिल्ली विधानसभा को सेवाओं संबंधित कानून बनाने का अधिकार नहीं दिया गया था। इसके बजाय, बिल अब अनुच्छेद 239AA पर केंद्रित है, जो केंद्र को राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) स्थापित करने का अधिकार देता है। इसके अलावा विभिन्न अथॉरिटी, बोर्ड, आयोग और वैधानिक संस्थाओं के अध्यक्ष, सदस्य की नियुक्ति के बारे में प्रावधान में ढील दी गई है। इसके बारे में प्रस्तावों को उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री को देने से पहले केंद्र सरकार को देने की बाध्यता नहीं होगी। इसमें एक नया प्रावधान भी जोड़ा गया है। दिल्ली सरकार द्वारा बोर्ड और आयोग की नियुक्तियां उपराज्यपाल NCCSA की सिफारिशों के आधार पर करेगा। इस सूची में दिल्ली के मुख्यमंत्री की सिफारिशें शामिल होंगी। बोर्ड या आयोग की स्थापना दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित कानूनों द्वारा की जाती है।

दोनों सदनों में सरकार की ताकत
लोकसभा

फिलहाल निचले सदन में 5 सीटें खाली हैं। बहुमत का आंकड़ा 270 है और बीजेपी का 301 सीटों पर कब्जा है। अगर उसके सहयोगियों की संख्या मिला दी जाए तो आंकड़ा 331 पहुंच जाता है। इसके अलावा कुछ अन्य दलों के समथर्न से यह आंकड़ा 363 पहुंच जाता है। वहीं, विपक्ष के पास 147 सांसदों का समर्थन है।

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