लखनऊ
गरीबी को लेकर नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट में देवीपाटन मंडल के तीन जिले गरीबी की फेहरिस्त में शीर्ष तीन पर हैं। बहराइच, श्रावस्ती और बलरामपुर में औसतन आधी आबादी आज भी गरीब है। दूसरी तरफ अमीरों की श्रेणी में शीर्ष पर गाजियाबाद है। दूसरे नंबर लखनऊ और तीसरे पर कानपुर काबिज है।
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में बहराइच, श्रावस्ती और बलरामपुर आज भी गरीबी की श्रेणी में सबसे ऊपर हैं। हालांकि सात साल पहले की तुलना में स्थिति सुधरी है। तब इन जिलों में 70 फीसदी से ज्यादा आबादी गरीब थी, जो आज घटकर 50 फीसदी रह गई है। वर्ष 2015-16 में बहराइच में 72 फीसदी, श्रावस्ती में 74 फीसदी और बलरामपुर में 70 फीसदी आबादी गरीब थी। आज वहां 54, 50 और 45 फीसदी आबादी ही गरीब रह गई है।
हालिया रिपोर्ट के मुताबिक अमीरी में सबसे आगे गाजियाबाद है। यहां गरीबों की संख्या प्रदेश में सबसे कम 6.93 फीसदी है। सबसे कम गरीबों की पायदान में दूसरे नंबर पर लखनऊ और तीसरे नंबर पर कानपुर है। यहां गरीबों की संख्या महज 8 और 9 फीसदी ही है। अमीरी के मामले में चौथे नंबर पर गौतमबुद्ध नगर और पांचवे नंबर पर हापुड़ है।
गरीबी घटाने में सबसे आगे बिहार, फिर एमपी और यूपी
नीति आयोग की रिपोर्ट बिहार में गरीबों का अनुपात 51.89 फीसदी से घटकर 33.76 रह गया है। देश में गरीबी सूचकांक में ये सबसे तेज कमी है इसीलिए बिहार शीर्ष पर है। इसके बाद सबसे तेज कमी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में देखी गई। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में गरीबों का अनुपात क्रमशः 20.63 फीसदी और 22.93 फीसदी रह गया है। गरीबों की संख्या के मामले में पिछले पांच वर्ष में 3.43 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकलने के साथ उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है। इसके बाद बिहार (2.25 करोड़) और मध्य प्रदेश (1.36 करोड़) हैं।
गरीबी के लिए जिलों को तीन मानकों पर परखा गया- स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर। इसमें जिलों को पोषण, जन्म दर, मृत्यु दर, मात्त्व स्वास्थ्य, बच्चों का स्वास्थ्य, बच्चों के स्कूल जाने की उम्र, स्कूल में उपस्थिति, ईंधन, एलपीजी,सफाई, शौचालय, आवास, पीने का पानी, बिजली, संपत्ति, बैंक खातों के पैमाने पर परखा गया था।