देहरादून । पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा है कि उत्तराखंड पुलिस, महिला और बाल सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। डीजीपी के अनुसार, बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) पर साइबर टिपलाइन रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) भारत और नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन (एनसीएमईसी), यूएसए के बीच समझौता हो चुका है।
इसका मकसद भारत से संबंधित जानकारी साझा करने के साथ-साथ ऐसे अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना है। इससे जानकारी प्राप्त करने के बाद एनसीआरबी राज्य के पुलिस अधिकारियों को यह सूचना भेजती है। डीजीपी कुमार के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्मार्ट पुलिसिंग के विजन को पूरा करते हुए उत्तराखंड पुलिस अपने एप के माध्यम से गौरा शक्ति सुविधा प्रदान कर रही है जहां 1.2 लाख से अधिक महिलाओं ने अपना पंजीकरण कराया है।
क्या है साइबर टिपलाइन
साइबर टिपलाइन बाल यौन शोषण के मामलों के लिए एक रिपोर्टिंग तंत्र है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक रूप में बच्चों को यौन कृत्य या आचरण में चित्रित करने वाली सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना शामिल है। उत्तराखंड एसटीएफ के तहत साइबर क्राइम थाना, चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सभी शिकायतों को स्कैन करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
प्रक्रिया में यह हुआ
इस प्रक्रिया में उत्तराखंड पुलिस ने 113 प्रथम रिपोर्ट सूचना (एफआईआर) दर्ज की हैं। इस साल 49 से ज्यादा एफआईआर स्वयं दर्ज करायी गईं तो 38 शिकायतों पर जल्द ही अलग-अलग जिलों में एफआईआर होंगी। पीड़ित उन्मुख पुलिसिंग (वीओपी) के लिए 906 जीरो एफआईआर और 472 ई-एफआईार साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई हैं। कानूनी पहलू की बात करें तो चाइल्ड पोर्नोग्राफी कानून (आईटी एक्ट सेक्शन 67बी) गैर जमानती अपराध है। डीजीपी का कहना है कि उत्तराखंड पुलिस प्रवर्तन (केस पंजीकरण, गिरफ्तारी) और शिक्षा (साइबर, यातायात, नशीली दवाओं, महिलाओं/बच्चों से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता) के लिए राज्यव्यापी अभियान चला रही है।