November 24, 2024
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के आने से अनेक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बेरोजगारी पैदा होने का अनुमान लगाया जा रहा है और कहा जा रहा है कि इसके कारण दुनिया भर में 7.5 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ मानते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण न केवल वकीलों, लेखकों और कलाकारों के क्षेत्रों में कामकाज में कमी आ सकती है, बल्कि इससे उन सेक्टर में श्रमिकों की संख्या में भी कमी आ सकती है जिन्हें ज्यादा तकनीक दक्ष मशीनों के द्वारा संचालित किया जा सकेगा।

हालांकि, इसी क्षेत्र के कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह अधूरा सच है। इस मामले का दूसरा पहलू यह भी है कि आने वाले दौर में केवल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के कारण 13.5 करोड़ नई नौकरियों का सृजन होगा। दुनिया की टॉप कंपनियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से दक्ष युवा प्रोफेशनल की भारी कमी होगी। यह कमी 8.5 करोड़ युवाओं की हो सकती है, जिसे पूरा कर पाना बहुत मुश्किल है। विशेषज्ञों की सलाह है कि आने वाले इस अवसर का लाभ उठाने के लिए युवाओं को अभी से तकनीक दक्ष होने की कोशिश करनी चाहिए। भारत जैसे देशों के लिए यह एक सुनहरा अवसर हो सकता है जहां युवाओं की भारी आबादी है।

आईबीएम (IBM) के प्रोग्राम डेवलपमेंट हेड संजीव मेहता ने अमर उजाला से कहा कि 2030 तक तकनीक दक्ष युवाओं की भारी कमी होने वाली है। यह कमी हर सेक्टर में होगी। विकसित देशों को ऐसे युवाओं की सबसे ज्यादा आवश्यकता होगी, जिसे नौकरी चाहिए उसे अपने आपको इस नई आवश्यकता के अनुसार विकसित करने की कोशिश भी करनी चाहिए।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सही ट्रांसफॉर्मेशन होने की स्थिति में देश की टॉप 500 कंपनियों में 25 से 30 हजार लोगों की आवश्यकता होगी। यह नौकरी इस तकनीक में दक्ष उच्च कोटि के युवाओं के लिए होगी। लेकिन इसके साथ ही अन्य सेक्टर में भी नई नौकरियों का सृजन होगा। इसके नकारात्मक असर से बचाने के लिए लोगों को अपने आपको नई तकनीक के अनुसार विकसित करना होगा। आईबीएम ने पंजाब की लैमरिन टेक यूनिवर्सिटी और एम्प्लॉयबिलिटी.लाइफ के साथ एक करार किया है जिसमें युवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर की औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शिक्षा दी जाएगी।

संजीव मेहता ने कहा कि जिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की आलोचना की जा रही है, उसका दूसरा पहलू यह भी है कि यदि इसका पूरी तरह से उपयोग किया गया, तो आने वाले समय में यह देश के लिए बड़ी शक्ति साबित होगा। अनुमान है कि इसके कारण जीडीपी में 1.4 फीसदी तक बढ़ोतरी होगी। अकेले टॉप कंपनियों को ही इसके कारण अगले पांच साल में 2.5 लाख करोड़ रुपये तक का लाभ होने का अनुमान है।

क्या देश तैयार है?

शिक्षा क्षेत्र की एक्सपर्ट प्रियंका एस ने अमर उजाला से कहा कि केंद्र सरकार ने बहुत तेजी से शिक्षा नीति में बदलाव किया है। इसका उद्देश्य युवाओं को अपने मनचाहे क्षेत्र में तकनीक शिक्षा हासिल करने का अवसर उपलब्ध कराना है। यूजीसी ने भी कई नियमों में ढील दी है, जिससे युवाओं को कई क्षेत्रों में नई चीजें सीखने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस बदलाव के साथ ही भारत तकनीक तौर पर दक्ष दुनिया का अगुवा बनेगा।

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