रायपुर। भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक (कैग) ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में अवैध खनन गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए निर्धारित उपायों का पालन नहीं किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को विधानसभा में कैग की यह रिपोर्ट पेश की। इसमें राज्य के खनन विभाग को पर्याप्त जनशक्ति और निरीक्षण के उचित रिकॉर्ड का रखरखाव करके निर्धारित मानदंडों के अनुरूप खदानों का नियमित निरीक्षण सुनिश्चित करने की बात कही गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ कोयला, लौह अयस्क और डोलोमाइट जैसे प्रमुख खनिजों का अग्रणी उत्पादक है और इसमें बॉक्साइट और चूना पत्थर के भी काफी भंडार हैं। राज्य में 37 प्रकार के लघु खनिज पाये जाते हैं। एक अप्रैल, 2021 तक राज्य में कुल 1,957 लघु खनिज खदान पट्टे स्वीकृत किए गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015-16 से 2020-21 के दौरान गौण खनिज से राज्य सरकार को प्राप्त रॉयल्टी 1,438.67 करोड़ रुपये थी। यह खनन से कुल राजस्व प्राप्तियों 30,606.89 करोड़ रुपये का 4.70 प्रतिशत थी।
ऑडिट रिपोर्ट कहती है कि छत्तीसगढ़ में अवैध खनन गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए खनन विभाग द्वारा निर्धारित उपायों का अनुपालन नहीं किया जा रहा था। खदान पट्टों के व्यापक डेटाबेस का अभाव होने के साथ खदान पट्टा क्षेत्र के सीमांकन को इंगित करने के लिए सीमा स्तंभ/ सीमा चिह्न भी गायब थे। इस वजह से स्वीकृत पट्टा क्षेत्रों से इतर की खनन गतिविधियों की पहचान नहीं हो पाई। खनिजों के अवैध परिवहन को रोकने के लिए स्थापित चेक पोस्टों की संख्या अपर्याप्त पाई गई और स्थापित चेक पोस्ट भी तौल-कांटे की सुविधा से लैस नहीं थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, विभाग के प्रशासकीय प्रतिवेदन के अनुसार, खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण के नए पंजीकृत मामलों की संख्या वित्त वर्ष 2015-16 के 3,756 से बढ़कर वित्त वर्ष 2020-21 में 5,410 हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेत खनन की निगरानी में कमी पाई गई और विभाग रॉयल्टी की चोरी और पर्यावरण मंजूरी शर्तों के गैर अनुपालन को रोकने में विफल रहा। कैग ने सुझाव दिया कि शासन को सतत रेत खनन तरीकों को अपनाना चाहिए और पर्यावरण मंजूरी की शर्तों और नियमों का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए रेत खनन गतिविधियों की नियमित निगरानी के लिए निर्देश भी देने चाहिए।