भारत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए मजबूती से आगे बढ़ रहा है। भारत को अपने वैश्विक ग्रिड प्रस्ताव ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय ग्रिड “वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (OSOWOG) को बनाने की पहल को भी अन्य देशों से काफी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मिली है। ये जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा में जारी जी-20 ऊर्जा मंत्रियों की बैठक को संबोधित करने के दौरान दी है।
उन्होंने कहा कि हम इस क्षेत्र में अपने पड़ोसी देशों के साथ पारस्परिक रूप से सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। इस दिशा में हमें उत्साहजनक परिणाम दिख रहे हैं। हमारी विभिन्न वास्तविकताओं के बावजूद, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा के उद्देश्य अभी भी वही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ”भविष्य, स्थिरता या वृद्धि और विकास के बारे में कोई भी बात ऊर्जा के बिना पूरी नहीं हो सकती। यह व्यक्तियों से लेकर राष्ट्रों तक हर स्तर पर विकास को प्रभावित करता है।”
गौरतलब है कि वर्ष 2021 के नवंबर में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के मौके पर 140 देशों को जोड़ने वाले वैश्विक सौर ग्रिड का अनावरण किया गया था। ये सौर ऊर्जा को हासिल करने और बढ़ावा देने और भारत की अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी नवीकरणीय परियोजना होने की दिशा में एक बड़ा कदम है। वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड और ग्रीन ग्रिड पहल इस समय की जरुरत भी है। स्वच्छ और हरित भविष्य की ओर दुनिया को बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय ग्रिड महत्वपूर्ण समाधान के तौर पर सामने आए है। ग्लासग्लो में अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में ये जानकारी दी थी।
जानें क्या है भारत की महत्वाकांक्षी वैश्विक ग्रिड परियोजना
“वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड” ऐसी परियोजना है, जो वैश्विक स्तर पर इंटरकनेक्टेड सौर ऊर्जा ग्रिड का पहला अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है। ये बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा संयंत्रों, विंड संयंत्रों, छत पर ग्रिड के साथ लगने वाले सोलर पैनल, सामुदायिक ग्रिड को एकीकृत करेगा। इससे स्वच्छ ऊर्जा की भरोसेमंद और उचित मूल्य स्रोत की गारंटी दी जा सकेगी। इस “वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड” योजना का मोटो “सूरज कभी अस्त नहीं होता” है, जो इस योजना को खास प्रेरणा देता है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और विश्व बैंक समूह के सहयोग से भारत और यूके की सरकारें मिलकर इस परियोजना को संचालित कर रही है। स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित दुनिया के लिए आवश्यक नए बुनियादी ढांचे के निर्माण में तेजी लाने के लिए राष्ट्रीय सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय और तकनीकी संगठनों, विधायकों, बिजली प्रणाली ऑपरेटरों और ज्ञान नेताओं के वैश्विक गठबंधन को एक साथ लाएगी। वैश्विक ग्रिड के रोडमैप को विकसित करने का काम फ्रांस की बिजली उपयोगिता कंपनी, ईडीएफ की अध्यक्षता में होगा। ईडीएफ फ्रांसीसी कंपनी एईटीएस और भारतीय संगठन द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) से मिलकर बनी है। बता दें कि वर्ष 2030 के लिए वैश्विक ग्रिड योजना द्वारा सौर निवेश के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर की राशि दी गई है।
ये है परियोजना का उद्देश्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 के अंत में आईएसए की पहली असेंबली में वैश्विक सौर ग्रिड का विचार प्रस्तुत किया था। वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा को साझा करने के लिए वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड अंतर-क्षेत्रीय ऊर्जा प्रणालियों को बनाने और स्केल करने की योजना बना रहा है जो विभिन्न देशों और क्षेत्रों के बीच मौजूद विभिन्न समय क्षेत्रों, मौसमों, संसाधनों का उपयोग करते हैं। इस योजना की बदौलत दुनिया के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के सबसे बड़े स्रोत-ऊर्जा उत्पादन को डीकार्बोनाइज़ करने में मदद करेगा।
गौरतलब है कि ग्रीन ग्रिड इनिशिएटिव और ओएसओडब्ल्यूओजी ने दुनिया भर के अन्य संगठनों के साथ अपने प्रयासों और गतिविधियों के समन्वय के लक्ष्य के साथ एकल जीजीआई-ओएसओडब्ल्यूओजी पहल बनाने के लिए साझेदारी की है। आईएसए वेबसाइट के अनुसार इसका उद्देश्य है कि लो कार्बन, इनोवेटिव सोलर प्रोजेक्ट, और कुशल श्रमिकों को सौर ऊर्जा से संचालित आर्थिक सुधार के लिए साथ लाना है। यह निवेश को भी बढ़ावा दे सकता है और लाखों नई हरित नौकरियाँ पैदा कर सकता है।
ऐसे करेगा काम
इस समग्र ग्रिड प्रणाली के तीन चरण हैं। मध्य पूर्व-दक्षिण एशिया-दक्षिण पूर्व एशिया इंटरकनेक्शन पहले चरण का फोकस है। इसका उद्देश्य है कि बिजली की जरुरतों, विशेष रूप से अधिकतम मांग को पूरा करना है। इसके लिए सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की जरुरत होगी। तीसरा और अंतिम चरण दुनिया भर में इंटरकनेक्शन के बारे में है। परियोजना का दूसरा चरण MESASEA ग्रिड को अफ्रीकी बिजली पूलों से जोड़ने से संबंधित है। जानकारी के मुताबिक पश्चिम में ओमान के लिए एक समुद्री लिंक कनेक्शन भी मूल योजनाओं का हिस्सा था। पीएम मोदी का दृष्टिकोण दक्षिण एशिया पर केंद्रित है। इसमें सीमा पार ऊर्जा वाणिज्य को प्रोत्साहित करना शामिल है।
वहीं बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत बांग्लादेश और नेपाल को भी बिजली की आपूर्ति कर रहा है। इसके अलावा दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) भी इस कदम का समर्थन कर रहा है, जिसमें पाकिस्तान शामिल नहीं है