राजनीति का हाथी बाजार से गुजर रहा था। पहला अँधा हाथी को दीवार की तरह महसूस कर बोला – मेरा लीडर बड़े बड़े पोस्टर में होता है । कहीं वो दो उंगली दिखाता है कहीं एक । उन्हीं के पोस्टर के पीछे मतदाताओं के लिए जीवन दर्शन के सुवचन लिखे होते हैं-“धैर्य रखें, आपकी बारी आने वाली है…कहीं दूसरी दुनिया में!”, “इतने शोर के बीच भी…सबसे ज्यादा आवाज सिर्फ ‘नक्की गायें’ की ही सुनाई देती है!”, “ज़िंदगी अगर सफ़र होती तो बाइक ड्राइव करने वालों के बारे में भी कई किताबें लिख दी जातीं होतीं!”, “सारी दुनिया घोड़ी की तरह दौड़ रही है, लेकिन इसके पीछे सवार की सरकार का क्या?”, “योग करें, भगवान तक पहुँचने के लिए कम से कम एक अकेला उठावना का तो बहाना होना चाहिए!”, “सच्ची दवा तो व्हीस्की है, बाकी सब सिर्फ अफवाहें!” । पेट्रोल पम्प हो या किराने की दुकान पोस्टर देखते ही दिल में चिंघाड़ने का संगीत गूंजने लगता है और महंगाई का पता ही नहीं चलता है। आकाशवाणी होती है कि महंगाई एक तरह का वहम है । लीडर का स्मरण करो तो वहम के सारे भूत भाग जाते हैं । मन उमंग की हुमक में फुदकता रहता है तो समझ जाता हूँ कि यही मेरा लीडर है ।
दूसरा अँधा हाथी के पाँव से टिका मोबाइल में घुसा था । हिलाया जगाया तो बोला – मेरा लीडर इंटरनेट मीडिया में चलने वाला खनकता सिक्का है । यह तो एक कला है जिसमें शब्दों, कार्टून, चित्रों और वीडियो का मेल होता है और देखने-सुनने वाला उल्लू। इधर से आलू-मेसेज डालो तो उधर से समर्थन का सोना निकलता है । वाट्सएप की हर पोस्ट उसके इरादों, कारनामों का बूस्टर डोज है । अगर दस मिनिट अपने लीडर की नई पोस्ट नहीं देखूं तो बीमार पड़ने लगता हूँ । जब कोई पोस्ट कहती है ‘जागो जागो, देखो अंधों देखो’ तो मुझे ऐसा लगता है जैसे सब दिख रहा है । कैसे लोग तरक्की कर रहे हैं दनादन । कैसे आक्सिजन और दवा के बिना भी बहादुरी से जिन्दा बच रहे हैं। नौकरियां जाने के बाद भी कैसे सीना चौड़ा किये आत्मनिर्भर बने खड़े हैं । यही मेरा लीडर हाथी का पैर है नहीं हिलेगा ।
तीसरा अँधा सूंड पकड़े टीवी देख रहा था । बोला – हर चैनल पर चौबीस घंटे जो खबरों में रहे वही मेरा लीडर है । उसका दृढ़ विश्वास है कि टीवी झूठ नहीं दिखाता है । मेरा लीडर तो देश में एक ही है बाकी सब दाढ़ी के बाल हैं जो जरुरत के हिसाब से काटे-छांटे या ट्रिम किये जा सकते हैं । नागरिकों को मनोरंजन का अधिकार है और सपने देखने का भी । मेरा लीडर जब बोलता है तो ये दोनों काम हो जाते हैं । इसलिए मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई ।
चौथा अँधा हाथी के कान पर धिन ता-ता ता करने में मस्त है । उसे चार सौ साल पीछे जाना है । अभी शुरुवात है । उसका लीडर कार की हेड लाईट जला कर रास्ता आगे का दिखाता है और गाड़ी रिवर्स में चलता है । इस काम में उसे लीडर का विराट रूप दिखाई देता है जैसा अर्जुन को दिखा था । अगर स्वर्ग पीछे है तो आगे बढ़ने का मतलब पीछे जाना है । जिसने यह रहस्य जान लिया है वही मेरा लीडर है ।
हाथी की पूंछ पकड़ उसे चाबुक समझ रहा पांचवा अँधा डरने वाला और जरा भावुक किस्म का है । मानता है कि मेरा लीडर कभी झूठ नहीं बोलता है । अगर बोलना ही पड़े तो सच की तरह बोलता है । जिसका झूठ भी सच लगे वही सच्चा लीडर होता है । जब वह कहता है कि सब अच्छा है तो सबको मान लेना चाहिए कि सब अच्छा है । जो शंका करके शगुन बिगाड़ेगा वह देशद्रोही माना जाएगा । लोग कहते हैं कि लीडर निपूता ही अच्छा होता है । पांचवा बिना किसी सवाल के मान लेता है । वह बैल को बाप भी मान लेता है और बन्दर को मामा । चाबुक से उसे डर लगता है ।
सच है, अँधों के लिए ऊँचाई और आकार बहकाने में बड़ा काम आता है।