
मेडा में बिना चढ़ावे के नहीं खिसकती फाइल,
मेरठ में शनिवार को पकड़ा गया मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) में भ्रष्टाचार का खेल पहला मामला नहीं हैं। इससे पहले भी कई अफसर भ्रष्टाचार में पकड़े गए हैं। यहां आलम यह है कि बिना चढ़ावे के फाइल आगे नहीं खिसकती। बाबुओं का खेल ऐसा है कि अगर किसी ने ऊंची पहुंच का रौब दिखाकर काम कराना चाहा तो बाबू फाइल को अलमारी में ऐसा दबा देते हैं कि ढूंढे नहीं मिलती। सूत्रों के मुताबिक अवैध उगाही और सेटिंग का खेल मेडा में शाम चार बजे के बाद शुरू होता है।
इससे पहले 12 अगस्त 2017 में तत्कालीन कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार ने भ्रष्टाचार के मामले में मेडा के एक्सईएन, एई और जेई को अपने ऑफिस में बुलाकर जेल भेज दिया था। मामला सपा सरकार के समय में बनाए गए साइकिल ट्रैक पर तार बिछाने में हुए खेल का था।
इसके अलावा गंगानगर योजना के 20 लाख रुपये से अधिक की आवंटियों से वसूली कर मेट डालचंद फरार हो गया था। तीन साल पहले तत्कालीन उपाध्यक्ष राजेश पांडेय ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया था। शनिवार